Wednesday, October 4, 2017

मतबदर (कोठली बाहर मतदान) के द्वारा जनमत-संग्रह कराना कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान के जनमत-संग्रह मोडल से श्रेष्ठ है : डा.सी. के. राउत



मतबदर (कोठली बाहर मतदान) के द्वारा जनमत-संग्रह कराना कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान के जनमत-संग्रह मोडल से श्रेष्ठ है। इसलिए जैसे भी मतबदर करें और कराएँ...मधेशी जनता की विजय के लिए, शहिदों के सम्मान के लिए।

कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान में वहाँ की जनता स्वयं ने केन्द्रीय सरकार की सहमति बिना जनमत-संग्रह कराके विश्व को संदेश दिया कि उन्हें अलग देश बनाने का अधिकार है। उसी तरह स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन भी मधेश में स्वयं जनमत-संग्रह करा सकता है (अन्तत: होगा भी)।
परन्तु तत्काल के लिए नेपाल सरकार द्वारा किए जा रहे निर्वाचन में ही ५०% से ज्यादा मतबदर करके भी हम जनमत-संग्रह जैसा ही संदेश पूरे विश्व को दे सकते हैं कि नेपाल का संविधान बहुमत मधेशी जनता द्वारा अस्वीकार्य है, और बहुमत मधेशी जनता आजादी चाहती है। उसका तुलनात्मक फायदे ये हैं:-
(१) निर्वाचन कराने की सारी जिम्मेबारी नेपाल सरकार की होगी तथा निर्वाचन का सारे खर्च स्वयं नेपाल सरकार उठाएगी, हम नहीं।
(२) नेपाल सरकार द्वारा किए जाने के कारण निर्वाचन को राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर पहले से ही मान्यता प्राप्त रहेगी। यह बहुत ही बडा कारण है।
(३) नेपाल सरकार स्वयं अन्तरराष्ट्रिय पर्यवेक्षकों को बुलाकर लाएंगी।
(४) निर्वाचन में सारे सुरक्षा प्रबन्ध, सेना और प्रहरी सभी की व्यवस्था हमें नहीं करना पडेगा, वह सरकार ही करेगी। (अगर हम स्वयं जनमत-संग्रह कराएंगे, तो हमें तो नेपाल सरकार की पुलिस व सुरक्षाकर्मी से सामना भी करना होगा, जैसे कैटोलोनिया की जनता ने किया)
(५) निर्वाचन में गिरे मत को वही गिनेंगे,और बदर मत की घोषणा भी नेपाल सरकार स्वयं करेगी, जिससे विश्व-मंच पर हमारी विश्वसनीयता और भी बढेगी। (अभी तत्कात गणना के क्रम में बदर मत की घोषणा नहीं भी हो, तो अन्तत: निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित निर्वाचन परिणाम पुस्तिका में बदर मत की संख्या जरूर रहेगी)
अर्थात् खर्च नेपाल सरकार का, सेना पुलिस उसकी, अन्तरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक को वे लाएंगी, मान्यता वे स्वयं देंगी, बैलेट पेपर उसका, गिनेगा वही और बदर-मत घोषणा भी करेगा वही, परन्तु जनमत का संदेश होगा हमारा !
हमें कुछ नहीं करना होगा, सिर्फ मतबदर करना होगा ! और मतदान भी तो गोपनीय है, तो मत-बदर करने में भी कोई रिस्क नहीं है - चाहे सरकार से हो या अपनी-अपनी पार्टी से।
इसलिए कहता हूँ कि अगर समझो तो यह "मत-बदर अभियान" एक मास्टर-स्ट्रोक है। कोई भीडन्त किए बिना, कोई महत्त्वपूर्ण ऊर्जा व साधन-स्रोत खर्च किए बिना, अपना "जनमत-संग्रह" का काम निकाल लेने बराबर है !
इसलिए मत-बदर अभियान के लिए जोडतोड से लगें। जगह-जगह पर बूथ समिति का निर्माण करें। स्वयंसेवकों को घर-घर जाकर लोगों को समझाना होगा। आखिर पार्टियों को भोट देकर आज तक मिला ही क्या गुलामी और जिल्लत की जिन्दगी के अलावा ? इसबार मतबदर करके सीधे मधेशी जनता को जिताना है !
नेपाली उपनिवेश अंत हो, मधेश देश स्वतंत्र हो


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