“कोठली बाहर मोहर” लगाके नेपाल का काला संविधान अस्वीकार करें,
पूरी “मधेशी जनता” को विजय बनावें,
“मधेशी शहीद” का लाज रखें,
“मधेशी एकता” बनाए रखें,
पूरी “मधेशी जनता” को विजय बनावें,
“मधेशी शहीद” का लाज रखें,
“मधेशी एकता” बनाए रखें,
मधेशी
एकता का निशान - कोठली बाहर मतदान
शहिदों का हो सम्मान - कोठली बाहर मतदान
मधेशी एकता का आधार - मोहर मारो कोठली बाहर
- दर्जनों गूटफूट करो बहिष्कार
कोठली के बाहर छाप - गुलामी अंत करो आप
कोठली बाहर मोहर मारो - काला संविधान खारिज करो
मधेश आंदोलन जारी है - कोठली बाहर मतदान की बारी है
शहिदों का हो सम्मान - कोठली बाहर मतदान
मधेशी एकता का आधार - मोहर मारो कोठली बाहर
- दर्जनों गूटफूट करो बहिष्कार
कोठली के बाहर छाप - गुलामी अंत करो आप
कोठली बाहर मोहर मारो - काला संविधान खारिज करो
मधेश आंदोलन जारी है - कोठली बाहर मतदान की बारी है
आखिर
क्या मिला ?
■ हमने
२०० वर्ष नेपालियों की गुलामी की,
क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
■ बाप दादा से लेकर अभी तक हमने नेताओं का “झोला” ढोया, क्या
मिला? कुछ भी नहीं।
■ खूद
भूखा रहकर भी नेताओं को बासमती चावल और मछली दे आए, क्या
मिला ? कुछ भी नहीं।
■ हमने
७० वर्ष से आंदोलन किया, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
■ सैंकडौं
मधेशी शहीद हो गए, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
■ मांग
पर मांग रखते रहे, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
■ समझौते
पर समझौते हुए, क्या मिला?
कुछ भी नहीं।
■ पार्टी
पर पार्टी बनी, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
■ निर्वाचन पर निर्वाचन हुए, जनता को क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
■ हमने
५ महिने नाकेबंदी आंदोलन किया, जनता को क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
■ स्थानीय
नेताओं ने पुलिस से मिलकर कालाबाजारी की, जनता
को क्या मिला? कुछ भी नहीं। ■ हमने संविधान जारी होने दिया, क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
■ संविधान
लागू हुआ, जनता को क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
■ हमने
१ मधेश १ प्रदेश नारा लगाया था,
क्या मिला ? छ
टुकड़ों में छिन्नभिन्न मधेश।
■ मधेशी
को मरते छोड नेताओं ने
राष्ट्रपति निर्वाचन में भाग लिया, जनता
को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
■ नेताओं
ने प्रधानमंत्री निर्वाचन में भाग लिया, जनता को क्या मिला? कुछ
भी नहीं।
११
बूँदे मांगों में से कौन सी मांग पूरी हुई ?
आखिर डेढ़-दो वर्ष
घनघोर मधेश आंदोलन करने से, ५ महिने कठीन नाकेबंदी करने से, ६० लोगों की बलिदानी देने से, ५०ओं बार वार्ता करने से, तीसरा मधेश आंदोलन की ११ बूँदे मांगों में से कौन सी मांग पूरी हुई ?
1. समग्र मधेश २ स्वायत्त प्रदेश |
पूरी नहीं हुई |
2. मौलिक हक में सामुदायिक समानुपातिक समावेशी धारा |
पूरी नहीं हुई |
3. राज्य के सम्पूर्ण अंग में समानुपातिक समावेशी |
पूरी नहीं हुई |
4. जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र/प्रतिनिधि |
पूरी नहीं हुई |
5. वैवाहिक नागरिकता अन्तरिम संविधान अनुसार |
पूरी नहीं हुई |
6. अदालत में समानुपातिक समावेशी |
पूरी नहीं हुई |
7. बहुभाषिक नीति |
पूरी नहीं हुई |
8. आयोग में प्रतिनिधित्व |
पूरी नहीं हुई |
9. स्थानीय निकाय गठन प्रादेशिक कानून के अनुसार |
पूरी नहीं हुई |
10. सेना लगायत के सुरक्षा निकाय में समानुपातिक समावेशी |
पूरी नहीं हुई |
11. बहुराष्ट्रिय राज्य की सुनिश्चितता |
पूरी नहीं हुई |
तो आप
किस नेताओं के चक्कर में धोखा खा रहे हैं ?
जब मधेशियों की कोई मांग ही पूरी नहीं हुई, जब शहिदों का सपना
अभी पूरा का पूरा बांकी है, तो इस निर्वाचन में किसी पार्टी या नेता को मतदान करके नेपाल के काला
संविधान को वैधानिकता क्यों दें ? नेपाल में नेतालोग चुनाव जितेंगे, मंत्री सांसद् बनते रहेंगे, पर मधेशियों को कुछ नहीं मिला है।
इसलिए, मधेशियों का अधिकार छीनने वाले और मधेशियों को गुलाम बनाने वाले, मधेशियों की हत्या
कराने वाले नेपाल के संविधान को वैधानिकता न दें, दर्जनों पार्टी में न उलझे, मधेशी जनमत को दर्जनों पार्टी के बीच में न बाँटे; कोठली बाहर छाप
मारके, “राइट टू रिजेक्ट” प्रयोग करके, मधेशी एकता का परिचय दें। मधेशी जनता, शहीद और एकता को विजय बनावें।
यह
हमारी अग्नि परीक्षा है,
यह हमारा जनमत-संग्रह है,
पूरे विश्व को सशक्त संदेश है,
कि मधेशी जनता ने नेपाल के काला संविधान को स्वीकार कर लिया है या नहीं !यह हमारा जनमत-संग्रह है,
पूरे विश्व को सशक्त संदेश है,
“कोठली के बाहर मोहर” मारके भारी बहुमत से मधेशी पूर विश्व को बतावें कि मधेशियों का अधिकार छीननेवाला नेपाल का काला संविधान मधेशियों को स्वीकार नहीं ! मधेशियों को अधिकार चाहिए, उसकी मांग अभी पूरी होनी बांकी है।
अपने घर
में बैठकर मुँह छुपाकर नहीं,
बूथ पर जाकर मुँहतोड़ जबाव देना है
मधेशी वीर शहिदों ने अपनी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों की परवाह न करके,
हमारे लिए अपने
जीवन की बलिदानी दे दी। तो वोट देने के लिए हम कैसे और क्यों अपने
रिश्तेदारों की परवाह करें ? हमें उन वीर मधेशी शहिदों को याद करके उनके लिए “कोठली के बाहर
मोहर” मारना होगा। मधेशी वीर शहिदों ने जलती हुई सडक पर जाकर,
बन्दुक की गोलियों
के बीच में, हमारे अधिकार के लिए नारे लगाते लडते हुए
अपने जीवन की कुर्बानी दे दी। तो क्या हम अपने घर से निकलकर बूथ तक जाके,
उन वीर शहिदों के
लिए “कोठली के बाहर मोहर” मार नहीं सकते ? इसलिए घर में मुँह छूपाकर नहीं, बूथ पर जाकर “कोठली के बाहर
मोहर” मारके, सेना पुलिस लगाकर जबरजस्ती संविधान लादने और निर्वाचन करानेवाले नेपाली शासकों को हमें मुँहतोड़ जवाब देना होगा !बूथ पर जाकर मुँहतोड़ जबाव देना है