Thursday, April 22, 2010

संविधानसभा बना एक क्रीड़ास्थल !!!!!

संविधानसभा बना एक क्रीड़ास्थल
मश्कारो की लगी हैं भीड़ वहां हर पल
सिर्फ दर्माहे की दरकार हैं ,बांकी कोई काम नहीं
बहुत किया तो , ये करेंगे जुतम्पैजर
सपना देखा जो लोगों ने , उसका तो कोई बात नहीं
बस रोष्टम घेरना हैं इन को आता
बात बात में गली देना बस सिर्फ इतना सिखा
संस्कृति के गाल पर जब चाह तब मारा चांटा
संविधानसभा बना एक क्रीड़ास्थल  ...................................!!!!!

अबतक किस बात का लेते रहे हो मेहनताना ?
शर्म हया कुच्छ बची है तो , लौटा दो हर पैसा और आना
अगर कुछ करने की अरमान नहीं
बंद करो ये झूठा खेल , जो आगे बढ़ने का ज्ञान नहीं
मुहलत बढ़ा कर भी कर लोगे क्या ?
संविधानसभा बना एक क्रीड़ास्थल  ...................................!!!!!

कैसे जाओगे जनता के पास , सफाई फिर दोगे क्या ?
करने के लिए कुच्छ , चाहिए सची निष्ठा
हम ने भी खो दी हैं अब , जो थी अबतक तुम में निष्ठां
अबतक परेशान रहे सरकार बनाने और गिराने में
करोड़ो फूँक दिए अपनी शेखी बघारने में
फिर भी चैन नहीं हैं तुम पिशाचो को
बार बार किया ठगा तुम ने जनता के बिश्वशो को
अब एक और नाटक खेलने को तयार हो
बेईमानी , मक्कारी , अधर्म का ही बस तुम यार हो
तभी तो मैं कहता हूँ हरपल
संविधानसभा बना एक क्रीड़ास्थल  ...................................!!!!!




सुजीत ठाकुर

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