Wednesday, November 15, 2017

बदर भाेट ही मधेश के लिये सदर है :अब्दुल खानं



बदर भाेट ही मधेश के लिऐ सदर है
 
अब्दुल खानं,प्रवक्ता स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन (AIM) अाज कल वर्षाती मधेश भक्त नेता गण अाैर नर्भच्छी अादम खाेर लाेग अनेकन चिन्ह अाैर कलर दार पाेष्टर लेकर जन जन काे गुमराह कर कह रहे है।
चच्चा,दादा,काका,मामा,चाची काकी भाेट काे खराब मत कर्ना वर्ना उसका मतलब ही नही रहेगा,यिन भाेट बदर अभियानियाें के बात मे मत अाना मेरे ही निशान मे छाप लगाना,यिस वार हमारी वारि अभितक सब काे देखा अब हम काे देखाे। यही लाेग हैं जाे कल तक अाप काे अान्दाेलन के लिऐ ट्याक्टर,बस मे जबरन ले जाते थे कहते थे अाज नही जाएगें ताे अाप के बच्चाे का किया हाेगा,नेपाली लाेग काला संविधान बनाडाला है।
उसे खारिज करना है,पुनर्लेखन करवाना है,मधेश काे खंडित हाेने से बचाना है। यहि लाेग हैं जाे जबरन अाप काे नाका पे ले जाते थे,यही ब्रहम फांस है नेपालियाे काे झुकाने का अाैर रात मे तेल का तसकरी करवाते थे।यही लाेग है जाे उत्तेजित भाषण देकर गरिबाे के बच्चाे काे राेड पे लाकर गाेलियाे से भुनवाते थे।यहि लाेग है जाे काठमाडाैं जाकर वार्ता के नाम पर पैसाेका समझाैता करते थे, अाज वही लाेग सारी वात काे छाेड कर पांच साल के लिऐ ऐक मुष्ट धाेखा देने के लिऐ अाप के मत काे बेचने का दुरुपयाेग हेतु अपने मत काे सदर मानते हैं।हकिक तन किसि ऐक काे भाेट देना सम्रग मधेश के लिऐ बदर हाेगा अाैर ऐक के लिऐ बदर करना पुरे मधेश के लिऐ सदर हाेगा,उसि से यिन धाेखे वाजाे का पर्दा फास हाेगा,साेंचना अाप काे है।


Sunday, October 8, 2017

मधेश और मधेशी उपर किए गए नेपाली षड़यन्त्र और चरम विभेद का वास्तविक तथ्य



सन् ८ दिसेम्बर १८१६ के बाद से मधेश और मधेशी उपर किए गए नेपाली षड़यन्त्र और चरम विभेद का वास्तविक तथ्य...
षड़यन्त्र नं. १ :
वि.सं. २०१४, चितवन, में "राप्ती भ्याली विकास योजना(Rv-Dv)"
नतिजा :
२०२७ साल में ३७,००० धर्तीपुत्र थारू मधेशियों को चितवन से भगाकर वहाँ दशगुणा पहाडी/नेपाली पहाड से लाकर बसाया गया |
आज चितवन पूर्णत: नेपालियों के कब्जा में है और थारू लाचार पड़ा है |
षड़यन्त्र नं. २ :
वि.सं. २०२०, "नेपाल पुनर्वास कम्पनी" का स्थापना हुआ
नतिजा :
* नेपाली सरकारद्वारा पहाड़ से नेपालियों को लाकर मुफ्त में अनाज, राज्य से धनकोष और सार्वजनिक जमीन देकर बसाया गया,
* नई बस्तियों में उनके लिए स्कुल और अस्पताल बनवाया गया ।
* जिनको जमीन उपलब्ध नहीं हो सका, उनके लिए नेपाली सरकार जंगल विनास कर १,१६,५५० बिघा मधेशी जमीन उन्हें दे दिया गया।
षड़यन्त्र नं. - ३
जमीन कब्जा पर सरकारी छुट :
नतिजा :
अनधिकृत् रूप में ३,५४,४०० विघा जमीन जंगल फडानी कर पहाडी लोग वैसे ही आकर बस गए, मधेशी लाचार होकर देखता ही रह गया |
षड़यन्त्र नं. - ४
पुनरवास कम्पनी खोलना और मधेशी जमीन कब्जा करना,
असर :
नेपालियोंद्वारा मधेश कब्जा करने के लिए मधेश भर ६ पुनर्वास कम्पनियाँ षड्यन्त्र पूर्वक खोला गया :
१. झापा पुनर्वास कम्पनी
२. सर्लाहि पुनर्वास कम्पनी
३. नवलपरासी पुनर्वास कम्पनी
४. ताराताल पु.क.
५. कैलाली " "
६. कंचनपूर पुनर्वास कम्पनी |
षड़यन्त्र नं. - ५
वन शुद्धिकरण का नाटक :
नतिजा :
"वन शुद्धिकरण" के नाम पर सन् १९९०(वि.सं. ०४७) तक लाखौं पहाडी/नेपालियों को जमीन दे दिया गया |
नेपाली लोग बिना नियम के जंगल कटानी कर उसे बेनामी बताकर कब्जा कर लेते थे और अपना नाम करबा लेते थे। जिसका शिकार पूरव के राजवंशी लोग हुवे ।
षड़यन्त्र नं. - ६
हुलाकी राजमार्ग का बिकल्प महेन्द्र पथका निर्माण,
असर :
हुलाकी मार्ग आसपास मधेशियों का जमीन पहले से था, जहाँ नेपालियों को लाना और बसाना संभव नहीं था | इस तथ्यको देखकर सरकार नें षड़यन्त्र पूर्वक पूर्व-पश्चिम राजमार्ग जंगल के बीचोबीच बनाया ताकि उसके आसपास नेपालियों का बसोबास हो और शहर बसे |
नीजगढ़, बर्दीबास, लालगढ़, पथलैया,
नारायणघाट, ईटहरी, बिर्तामोड़, उर्लाबारी, काकरभिट्टा, बुटवल, कोहलपुर, अतरिया आादि वही नवीन शहर है।
जो राजमार्ग राणा कालमें बना था वह आज भी वैसे ही है लेकिन पहाडी लोक-मार्ग आज पहाड के बिचोविच दौड़ रहा है |
कोशी सम्झौता, काली सम्झौता, गण्डक, कर्णीली जैसे नदियों के सम्झौते से आज मधेशी भूमि पानी विहीन बाँझ पड़ा है | हर अन्तराष्ट्रिय सन्धी सम्झौते से ९०% लाभ नेपालियों को ही मिलता है, बाँकी १०% दिखाने और मधेशी नेताओं को फुसलाने हेतु मधेश को भी देता है | इस तरह हम मधेशी धीरेधीरे कंगाल होते जा रहे हैं | बेघर भुमिहीन बनते जा रहे हैं | श्रोत साधन समाप्त होता जा रहा है | हम लुटते जा रहे हैं | बरवाद होते जा रहे हैं |
बस, स्वतन्त्र मधेश ही है एक विकल्प...

Wednesday, October 4, 2017

मतबदर (कोठली बाहर मतदान) के द्वारा जनमत-संग्रह कराना कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान के जनमत-संग्रह मोडल से श्रेष्ठ है : डा.सी. के. राउत



मतबदर (कोठली बाहर मतदान) के द्वारा जनमत-संग्रह कराना कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान के जनमत-संग्रह मोडल से श्रेष्ठ है। इसलिए जैसे भी मतबदर करें और कराएँ...मधेशी जनता की विजय के लिए, शहिदों के सम्मान के लिए।

कैटेलोनिया व कुर्दिस्तान में वहाँ की जनता स्वयं ने केन्द्रीय सरकार की सहमति बिना जनमत-संग्रह कराके विश्व को संदेश दिया कि उन्हें अलग देश बनाने का अधिकार है। उसी तरह स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन भी मधेश में स्वयं जनमत-संग्रह करा सकता है (अन्तत: होगा भी)।
परन्तु तत्काल के लिए नेपाल सरकार द्वारा किए जा रहे निर्वाचन में ही ५०% से ज्यादा मतबदर करके भी हम जनमत-संग्रह जैसा ही संदेश पूरे विश्व को दे सकते हैं कि नेपाल का संविधान बहुमत मधेशी जनता द्वारा अस्वीकार्य है, और बहुमत मधेशी जनता आजादी चाहती है। उसका तुलनात्मक फायदे ये हैं:-
(१) निर्वाचन कराने की सारी जिम्मेबारी नेपाल सरकार की होगी तथा निर्वाचन का सारे खर्च स्वयं नेपाल सरकार उठाएगी, हम नहीं।
(२) नेपाल सरकार द्वारा किए जाने के कारण निर्वाचन को राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर पहले से ही मान्यता प्राप्त रहेगी। यह बहुत ही बडा कारण है।
(३) नेपाल सरकार स्वयं अन्तरराष्ट्रिय पर्यवेक्षकों को बुलाकर लाएंगी।
(४) निर्वाचन में सारे सुरक्षा प्रबन्ध, सेना और प्रहरी सभी की व्यवस्था हमें नहीं करना पडेगा, वह सरकार ही करेगी। (अगर हम स्वयं जनमत-संग्रह कराएंगे, तो हमें तो नेपाल सरकार की पुलिस व सुरक्षाकर्मी से सामना भी करना होगा, जैसे कैटोलोनिया की जनता ने किया)
(५) निर्वाचन में गिरे मत को वही गिनेंगे,और बदर मत की घोषणा भी नेपाल सरकार स्वयं करेगी, जिससे विश्व-मंच पर हमारी विश्वसनीयता और भी बढेगी। (अभी तत्कात गणना के क्रम में बदर मत की घोषणा नहीं भी हो, तो अन्तत: निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित निर्वाचन परिणाम पुस्तिका में बदर मत की संख्या जरूर रहेगी)
अर्थात् खर्च नेपाल सरकार का, सेना पुलिस उसकी, अन्तरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक को वे लाएंगी, मान्यता वे स्वयं देंगी, बैलेट पेपर उसका, गिनेगा वही और बदर-मत घोषणा भी करेगा वही, परन्तु जनमत का संदेश होगा हमारा !
हमें कुछ नहीं करना होगा, सिर्फ मतबदर करना होगा ! और मतदान भी तो गोपनीय है, तो मत-बदर करने में भी कोई रिस्क नहीं है - चाहे सरकार से हो या अपनी-अपनी पार्टी से।
इसलिए कहता हूँ कि अगर समझो तो यह "मत-बदर अभियान" एक मास्टर-स्ट्रोक है। कोई भीडन्त किए बिना, कोई महत्त्वपूर्ण ऊर्जा व साधन-स्रोत खर्च किए बिना, अपना "जनमत-संग्रह" का काम निकाल लेने बराबर है !
इसलिए मत-बदर अभियान के लिए जोडतोड से लगें। जगह-जगह पर बूथ समिति का निर्माण करें। स्वयंसेवकों को घर-घर जाकर लोगों को समझाना होगा। आखिर पार्टियों को भोट देकर आज तक मिला ही क्या गुलामी और जिल्लत की जिन्दगी के अलावा ? इसबार मतबदर करके सीधे मधेशी जनता को जिताना है !
नेपाली उपनिवेश अंत हो, मधेश देश स्वतंत्र हो


जनमत पार्टीका एजेण्डा: सुशासन, सेवा-प्रवाह, स्वायत्तता

जनमत पार्टीका एजेण्डा: सुशासन, सेवा-प्रवाह, स्वायत्तता । #cp #सुशासन: यसका तीन पक्षहरू छन्। कुनै पनि तहमा कुनै पनि स्तरको #भ्रष्टाचार हुनुहु...