Tuesday, March 7, 2017

फिरंगी पुलिस, सेना और संविधान जबतक मधेश में रहेगा तबतक मधेशियों की हालत यही होता रहेगा -डा.सी.के. राउत


शासक उन नागरिकों से डरता है जिनमें शासन निर्माण करने की क्षमता और संभावना रहती है | नेपाली हर नागरिक में वह संभावना और क्षमता दोनों मौजूद है | एक नेपाली चाहे और मेहनत करे तो वह नेपाली शासन को आसानी से परिवर्तन कर सकता है | नेपाली मुल्क का संविधान, कानून और सरकार बदल सकता है | जिसको चाहे उसे कारवाही कर सकता है | जब चाहे नेपाली संरचना को बदल सकता है | यही वजह है कि हर एक नेपाली नागरिक से पुलिस, सेना, नेता, सरकार और शासक डरता है | उनकी सुनता है और उनके पक्ष में निर्णय लेता है |
क्या वही क्षमता और संभावना किसी मधेशी नागरिक में नेपाली राज या सेनाको दिखाई देती है ? कोई एक मधेशी शिक्षा, अर्थ, नेतृत्व, विद्वता आदि में पूर्ण सक्षम होनेपर भी क्या उन मधेशी में नेपाली राज की शासन, सत्ता, संविधान, कानून बदलने की क्षमता है ? स्पष्ट है, किसी मधेशियों में वह ताकत नहीं है कि वे पार्टी खोले, नेपाली चूनाव में बहुमत हासिल करे और नेपाली राजसत्ता को परिवर्तन कर दे | क्यूँकि गुलाम नागरिक में वह ताकत नहीं होती कि वह मालिकद्वारा बनाए गए राजसत्ता को नियन्त्रण कर सके, मधेशी जनता की हक अधिकार संविधान में लिख सके और सुख सुविधा पहूँचाने के लिए बहुमत का सरकार बना सके |
गुलाम नागरिक मालिक के अधिन रहकर केवल गुलामी ही कर सकता है | समस्या आनेपर मालिक से आग्रह कर सकता है | अच्छा और मनपसंद सेवा करनेपर साबासी एवं ईनाम पा सकता है । मालिक को खुशी बनाकर कभी कभार कुछ अधिक लाभ भी ले सकता है। यही सत्य है | यही मधेशियों का नेपाली राज में हक और अधिकार है |
वीर मधेशी शहिद २०७३ फाल्गुन २३ गते राजबिराज
आश्चर्य तो ईस बातपर है कि सत्यको जानकर भी हम और हमारे मधेशी नेता अञ्जान बैठे हैं। वर्षों से वही मांग, वही तरीका, वही आन्दोलन, वही सम्झौता, वही सरकार और वही गोलचक्र में मधेशी उलझते आ रहे हैं | समस्या उपनिवेश का है ईलाज संघीयता में ढूँढ रहे हैं | सम्मान मधेश राष्ट्र में है पहचान नेपाली राष्ट्रियता में खोज रहे हैं | रघूनाथ ठाकुर से लेकर आज राजेन्द्र, महन्थ और उपेन्द्र यादव तक नेपालीतन्त्र के उसी महाजाल में फँसे हुए हैं |
हमें अब नेपाली राज के चक्रब्यूह से निकलना होगा | उन मधेशी नेताओं के जाल से भी मुक्त होना होगा जो ईस चक्रब्यूह में रखे रहने को मजबुर करते आएं हैं | हमें अब खुद नेतृत्व लेना होगा | घर-घर से सड़क, चौक, नगर और शहर से आजाद़ी का झण्डा लेकर निकलना होगा | स्वतन्त्र मधेश गठबंधन में न ही सही, अपने अपने जगह, पार्टी, संगठन हर स्थान से आजाद़ी के लिए विद्रोह करना होगा | हाथ में आजाद़ी के झण्डे, साथ में स्वतन्त्र मधेश गठबंधन के ३ आधार स्तम्भ और जुबान पर 'नेपाली उपनिवेश अन्त हो मधेश देश स्वतन्त्र हो' तथा 'अबकी बार एक ही मांग, जनमत संग्रह का हो ऐलान' का नारा लेकर हजारों हजार की भींड़ विना भय और त्रास के निरन्तर आगे बढ़ना होगा |
यही एक मात्र विकल्प है | अन्तिम और कठोर विकल्प है | दुसरा कुछ भी नहीं |
जय मधेश, आजाद़ मधेश !

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