मधेशियों को क्या सीखने को मिलता है, कुर्दिस्तान और कैटेलोनिया के जनमत-संग्रह के मोडल से ?
(१) सरकार के विरोध और चरम दमन के बाबजूद भी जनमत-संग्रह जनता द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है, सरकार सहमत होना आवश्यक नहीं। (कुर्दिस्तान और कैटेलोनिया में जनमत-संग्रह रोकने के लिए वहाँ की सरकार ने जबरजस्त कोशिस की, लाख दमन किए लोगों को जनमतसंग्रह में भाग लेने से रोकने के लिए, फिर भी जनमतसंग्रह सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ)
(२) पडोसी देश, अमेरिका, UN सभी के विरोध के बाबजूद भी अगर जनता चाहे तो जनमत-संग्रह जनता द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है। (जैसा कि कुर्दिस्तान में जनमत-संग्रह को पडोसी देश, अमेरिका, UN सभी ने विरोध किया था, और चेतावनी भी दी थी, फिर भी वहाँ की जनता ने जनमत-संग्रह करके दिखा दिया)
(३) शायद ही आसानी से कहीं की सरकार जनमत-संग्रह कराके औपनिवेशिक भूमि छोडने के लिए राजी हो, जो वह सदियों से खाती-पीती रही हो। वह तो औपनिवेशिक शासन से पीडित जनता द्वारा खुद जनमत-संग्रह कराके अपनी भूमि को स्वतंत्र करने के लिए पहल करना होता है, आगे आना होता है।
(४) चाहे सरकार अपनी सेना और पुलिस लगाकर मत-पेटिका लूट लें, छापा मारके मतपत्र लूटकर आग लगा दें, सैकडौं बूथ कब्जा कर लें, परन्तु जनता में जूनून हो तो फिर भी जनमत-संग्रह कराया जा सकता है। (जैसा अभी कैटेलोनिया में हुआ। वहाँ स्पेन की सरकार ने महिनों पहले से दमन शुरु कर दिया था, मतपेटिका और मतपत्र लूट कर ले गए, बूथ पर अपनी सेना और पुलिस परिचालित करके लोगों को भोट खसाने से रोकना चाहा, ८०० लोग घायल हुए, फिर भी वहाँ की जनता ने जनमत-संग्रह सफल किया।)
(५) सरकार के विरोध के बाबजूद भी अन्तरराष्ट्रिय पर्यवेक्षक को मतदान पर्यवेक्षण करने और जनमत-संग्रह को विश्वसनीयता प्रदान करने तथा अन्तरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए आमन्त्रित किया जा सकता है, वे आते हैं (जैसा कि कैटेलोनिया में अन्तरराष्ट्रिय पर्यवेक्षकों का जोडदार समर्थन रहा है, पर्यवेक्षकों ने जनमतसंग्रह में स्पेन सरकार द्वारा किए गए दमन की घोर नींदा की है।)
तो मधेश में भी अब मधेशी जनता को जनमत-संग्रह के लिए स्वयं आगे बढना होगा। क्या दमन करेगी नेपाल सरकार, जहाँ विदेश द्वारा कपडा भेजने के बाद ही उसकी सेना और पुलिस अपने नंगे तन को ढक पाते हो ? जब स्पेन और इराक जैसे शक्तिशाली देश जनमत-संग्रह को सेना और पुलिस लगाकर नहीं रोक पाई, तो नेपाली सेना और पुलिस क्या रोकेगी !?
इसलिए हरके जगह बूथ कमिटी का निर्माण जोड-तोड से करें, हरेक जगह जनमत-संग्रह खुद कराने के लिए तैयार बनें। उसके लिए वर्तमान प्रादेशिक और संघीय निर्वाचन भी एक कड़ी है। उसका भरपूर उपयोग करें।
अब की बार एक ही मांग, जनमत-संग्रह का हो ऐलान
नेपाली उपनिवेश अंत हो, मधेश देश स्वतंत्र हो।
Dr. CK Raut