Monday, March 27, 2017

स्वतन्त्र मधेश क्यों ? : डॉ. सी.के.राउत


जिज्ञासु:
कहने का मतलब, आप पूर्ण आजादी और स्वराज की बात करते हैं। आखिर स्वतन्त्र मधेश ही क्यों?
डॉ. सी. के. राउत:
पहले इसके केवल तीन मुख्य आधारभूत कारण देखें
  1. पहली बात, अगर कोई भूमि उपनिवेश है या कहीं की जनता गुलाम है, तो स्वतन्त्रता उनका प्राकृतिक समाधान और हक है। चाहे लोग कितने सुसम्पन्न ही क्यों न हो, उन्हें सब कुछ मिला ही क्यों न हो, पर अगर कोई गुलाम है, तो आजाद होना हर हाल में उसका अधिकार है।
  2. दूसरी बात, कोई दूसरा समाधान मधेश में रहे नेपाली/पहाडी सेना को पूर्ण रूप से हटाकर उसकी जगह मधेशी सेना को नहीं रख सकता, और जब तक मधेश की भूमि पर नेपाली/पहाड़ी सेना रहेगी, मधेशियों की गुलामी का अन्त नहीं हो सकता। नियम, कानून, व्यवस्था, संविधान आदि बनते रहते हैं, उनकी कोई अहमियत नहीं जब तक अपनी सेना न हो। साम्राज्य की सेना लगाकर कभी भी नियम, कानून, संविधान और व्यवस्था को निलम्बन किया जा सकता है। इसलिए जब तक मधेश में मधेशी मातहत की मधेशी सेना नहीं, तब तक नियम, कानून, व्यवस्था, संविधान आदि कुछ भी अपना नहीं।
  3. तीसरी बात, कोई दूसरा समाधान मधेशियों को स्थायी रूप से अधिकार नहीं दिला सकता, उन मार्गों द्वारा अधिकार मिल जाने पर भी नेपाली शासक जब चाहे वह अधिकार हमसे छीन लेते हैं। जैसे कि ०६३०६४ साल के मधेश आन्दोलन की उपलब्धि के रूप में तो स्वायत्त मधेश हासिल हो चुका था, मधेशियों को राज्य के हर अंग और निकाय में समानुपातिक समावेशी करने के लिए समझौता हो चुका था, पर जैसे ही हम कमजोर हुए, सारी चीजें नेपाली शासकों ने हमसे छीन ली। अरे, यहाँ तक हुआ है कि मधेशियों को दे दी गई नागरिकता भी दसों हजारों की संख्या में छीन ली गई है।
ऊपर दिए गए तीन कारण आधारभूत हैं जो साबित करते हैं कि हमें स्वतन्त्र मधेश ही चाहिए, आजादी ही चाहिए, उससे कम कुछ नहीं। उनके अलावा मधेशियों के प्रति जो विभेद और रंगभेद नेपाली राज में कायम है, मधेशियों का विस्थापन, जातीय सफाया और नस्ल संहार जो हो रहा है, मधेश में जो विकास का अभाव और गरीबी है, मधेश का जो आर्थिक दोहन किया जा रहा है, मधेश का जो नेपालीकरण करके मधेश की अपनी सारी चीजें मिटाई जा रही हैं आदि अनेकों कारण भी मौजूद हैं।
जिज्ञासु:
क्या नेपाल के संविधान में अधिकार सुनिश्चित करने से नहीं होगा?
डॉ. सी. के. राउत:
संविधान उसका होता है, जिसके पास सेना होती है। जिसकी सेना नहीं, उसका क्या संविधान? सेना लगाकर कभी भी संविधानको निलम्बन किया जा सकता है, और नेपाल में संविधान टिका है कितना?
अभी मर-मर के अधिकांश मधेशी लोग इस तरह से कर रहे हैं कि जैसे संविधान में एक बार लिखा देंगे, तो सारा काम खत्म! संविधान तो हर १०१५ वर्ष में टूटा हैं यहाँ, पूरे परिवर्तन आए हैं, तो मधेशियों के मामले में कितने दिन टिकेगा संविधान? जैसे मधेशी ठंड पडेंगे, फिर पलट लेगा संविधान। देखा नहीं, स्वायत्त मधेश तो मधेश आन्दोलन के बाद समझौता में था, सेना में भी समानुपातिक प्रतिनिधित्व, पर कहाँ गए वे? कितने मधेशी सेना में भर्ती हुए? ३००० मधेशियों की भी भर्ती नहीं हो सकी।
और क्या अभी नेपाल के संविधान में मधेशियों को दूसरे दर्जा पर रखा गया है, क्या मधेशियों को नागरिकता नहीं देने के लिए कहा गया है? नहीं, तो फिर इतने मधेशी लोग अनागरिक क्यों हैं, मधेशी क्यों अपनी ही भूमि पर दूसरे दर्जे के नागरिक हो गए हैं? बताइए। खाली लिख देने से नहीं होता है न!
इस लिए ऐसे संविधान बनते रहेंगे, टूटते रहेंगे, जब तक मधेशियों के पास अपना देश, अपनी सेना और अपना संविधान नहीं होता, चाहे जितनी भी उपलब्धियाँ दिखा दें, सब मिथ्या हैं, क्षणिक हैं।
संविधान बस वृक्ष का एक फल है, जैसा वृक्ष वैसा ही फल। और यहाँ तो एक फल जो एक महीने में सड़ जाता है, उसे शासकों से पाने के लिए हम वर्षों संघर्ष करते हैं, और हाथ में आते-आते ही सड़ जाता है। हमें फल के लिए नहीं, अपना वृक्ष लगाने के लिए लगना चाहिए, जहाँ पर हरेक साल फल लगेगा। स्वराज कल्प-वृक्ष है और संविधान फल। अपना वृक्ष रहेगा तो फल तो खाते रहेंगे।
जिज्ञासु:
अगर संघीय-राज्य प्रणाली आ जाएगी तो सब कुछ ठीक नहीं हो जाएगा? तब हम अपने तरीके से राज्य चला सकते हैं।
डॉ. सी. के. राउत:
ऐसा क्या चमत्कार हो जाएगा संघीयता के आने से?
  1. क्या संघीयता सम्पूर्ण मधेश को अखण्ड रखकर एक राज्य होने की गारन्टी करती है?
  2. क्या वह मधेशियों की जमीन पुन: नहीं छीने जाने की और नेपालियों/पहाड़ियों को मधेश में नहीं बसाए जाने की गारन्टी करती है?
  3. क्या वह मधेश के प्रशासक मधेशी होने की गारन्टी करती है? नहीं तो, बाद में भी नेपाली अधिकारियों द्वारा इसी तरह से कर्फ्यू लगाकर मधेशियों पर आक्रमण होता रहेगा और नेपाली शासक द्वारा इसी तरह से शोषण जारी ही रहेगा।
  4. क्या वह ऋतिक रोशन कांड और नेपालगंज घटना जैसे सुनियोजित जातीय सफाया के षड्यन्त्र कराके मधेशियों पर फिर लूटपाट और आक्रमण नहीं होने की गारन्टी करती है?
  5. क्या वह मधेश के काम-काज और नौकरियाँ मधेशी को ही मिलने की गारन्टी करती है? कि बाहर से नेपाली लोगों को बुलाकर दी जाएगी?
  6. क्या वह मधेश की सम्पूर्ण आय और दाता राष्ट्रों से प्राप्त अनुदानों का समुचित भाग मधेश में लगानी होने की गारन्टी करती है? कि मधेश को खाली विश्व बैंक और एडीबी का ऋण ढोना पड़ेगा?
  7. क्या वह देश भीतर और बाहर रहे मधेशियों की पहचान की समस्या को समाधान करेगी? क्या तब धोती, इंडियन और मर्सिया कहके नहीं बुलाया जाएगा?
  8. क्या वह मधेश के साधन-स्रोत, जल, जमीन और जंगल पर पूर्णत: मधेशियों का अधिकार होने की गारन्टी करती है?
  9. क्या वह मधेश की नागरिकता, सुरक्षा और वैदेशिक नीति मधेशियों के हाथों में होने की गारन्टी करती है?
  10. क्या वह मधेश से नेपाली सेना पूर्णत: हटाकर पूर्ण मधेशी सेना बनाने की गारन्टी करती है? नहीं तो कभी भी नेपाली सेना को परिचालन करके केन्द्रीय नेपाली सरकार कुछ भी कर सकती है, कोई संविधान भी लागू कर सकती है, कुछ भी नियम-कानून लगवा सकती है। केन्द्रीय सरकार आपातकालीन स्थिति की घोषणा करके मधेशियों के सम्पूर्ण अधिकार मिनट भर में ही निलम्बन कर सकती है। क्या इसे हम अपनी उपलब्धि मानें? क्या इसे हम सम्पूर्ण मधेशियों के बलिदान और संघर्ष का मोल माने?
तो ऊपर की १० आधारभूत और महत्त्वपूर्ण बातों में से कितनी बात संघीयता या आजादी के अलावा कोई अन्य राजनैतिक व्यवस्था दिला सकती है? बताइए।
क्यों गांधी और मंडेला ने आजादी के बदले विलायत के अधीन में रहते हुए संघीयता को स्वीकार नहीं किया? देखिए ऐसी बातें कुछ आइएनजीओ और संघ-संस्थाएँ पत्र-पत्रिकाओं में उठवा देती हैं, उसके लिए फंड रिलिज कर देती हैं, और उस पर लोग भागते रहते हैं, होटल और रिसोर्ट में लेक्चर देते फिरते हैं। पर मधेशियों के लिए वह वास्तविक समाधान नहीं है।
जिज्ञासु:
क्या देश का नाम बदलने से नहीं होगा?
डॉ. सी. के. राउत:
क्या जहर की शीशी पर शर्बत का नाम लिखकर उसे सेवन करने से हम मरेंगे नहीं? आप ऊपर के ही १० सूत्रों को देखें कि क्या पूरा होगा, क्या नहीं।
जिज्ञासु:
ठीक है समझ गया। तो आप ही बताइए, आजाद होने पर क्या होगा?
डॉ. सी. के. राउत:
मधेश आजाद होने पर हमारा अपना सार्वभौम देश होगा, हमें आजादी मिलेगी, हमें किसी देश के गुलाम या दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर नहीं रहना पड़ेगा, हमारी अपनी पहचान होगी, अपना ऊँचा आत्मसम्मान होगा। मधेश में अपनी सेना और पुलिस होगी, अपना संविधान होगा, अपनी शासन-व्यवस्था और अपना प्रशासन होगा।
लगभग एक लाख मधेशियों को तो सेना में ही नौकरी मिलेगी, दूसरे एक लाख पुलिस में लगेंगे। प्रशासन में कई लाख मधेशियों को नौकरियाँ मिलेंगी।
हम अपनी समस्याओं का समाधान अपने हिसाब से कर पाएँगे। किसानों के लिए बीज, खाद, सिंचाई और राहत की व्यवस्था कर सकेंगे। मेहनत-मजदूरी की कमाई लूटकर पहाड़ नहीं जाएँगी। यही पर एक से एक अस्पताल, एक से एक कॉलेज, एक पर एक फैक्टरियाँ खुलेंगी; रोड, नहर और रेलवे बनेंगे।
विदेशी कोटा, छात्रवृत्ति, अनुदान सभी मधेश को मिलेंगे। मधेशियों के प्रति विभेद नहीं रह जाएगा। नेपाली पुलिस और प्रशासन के संरक्षण में नेपाली लोग मधेशियों पर आक्रमण करके उन्हें मिटाने की चेष्टा नहीं कर सकेंगे, जैसा कि नेपालगंज दंगे में हुआ था।

उपनिवेश बनानेवाला ब्रिटिश फार्मूला 

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