Thursday, February 26, 2015

मधेश में नेपाली उपनिवेश



मधेश में नेपाली उपनिवेश :-
मधेश राष्ट्र आज परतन्त्र अवस्था में है, आज यह नेपाल का उपनिवेश है ! मधेश राष्ट्र जिसका अपना गौरवशाली इतिहास रहा है, जहाँ पर एक से एक शूरवीर राजा महाराजा हुए, वह आज नेपाल के औपनिवेशिक शोषण के तले दबा हुआ है !
अंग्रेजों ने ईस्वी १८१६ और १८६० में मधेश को नेपाल के राजा को दे दिया

मधेश केवल सन १८१६ और १८६० में नेपाली साम्राज्य के अधीनस्थ हुआ ! प्रति बर्ष दो लाख रुपए भुगतान के बदले, सन १८१६ में अंग्रेजों ने मधेश के पूर्वी भाग नेपाल के राजा को दे दिया ! उसी तरह , भारत में सन १८५७-५९ के दौरान हुए सिपाही विद्रोह को दबाने के लिए नेपाल के राजा द्वारा दिए गए सैन्य सहयोग के बदले उपहार स्वरूप अंग्रेजों ने पश्चिम मधेश नेपाल के राजा को दे दिया ! इस प्रकार से मधेश नेपाल का उपनिवेश बना था !
नेपाली सेना और शासक मधेश में मधेश बाहर से आकर बसे हैं और वहाँ पर अपना नेपाली शासन लादे हुए हैं, तो यह यह आन्तरिक उपनिवेश कैसा ? यह पूर्ण उपनिवेश है ! नेपाली लोग मधेश के लिए बाह्रा-तत्व है 

मधेश में रहे नेपाली शासन का चरित्र विशुद्ध रूप से औपनिवेशिक शोषण पर लक्षित रहा है, जैसे --

१. मधेशी सेना का उन्मूलन और नेपाली सेना में मधेशियों के प्रवेश पर अघोषित प्रतिबन्ध,

२. मधेश बाहर से नेपाली सेना लाकर पुरे मधेश में सैन्य बैरेक और चेक पोस्ट खड़ा करना, ( इसकी तुलना ईस प्रकार की जा सकती हैं; मानो अमेरिका में अमेरिकी सेना का उन्मूलन करके अमेरिकी जनता को ही सेना में भारती पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाय और उत्तर कोरिया की सेना जाकर पुर अमेरिका में बैठ जाएँ, तो उसे क्या कहा जाएगा ?)

३. मधेशी जनता से भारी और अनुचित कर, भन्सार और राजश्व वसूली करना पर मधेश में उचित लगानी क करना 

४. मधेश के वन -जंगल, खान, नदी नाले और जमीन सहित के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना,

५. मधेशी आदिवासियों की भूमि पर कब्ज़ा करके उसे नेपाली प्रशासन, सेना और पुलिस में बाँट देना

६. सरकारी योजनाओं द्वारा नेपाल के शासक वर्ग के लोगोंको लाकर मधेश में बसाना,

७. मधेशियों को नेपाल आने-जाने के लिए ( सन १९५८ तक) पारपत्र या पासपोर्ट लेने की जरूरत होना 

८. नेपाली शासकवर्ग की भाषा, वेश और संस्कृति मधेश पर लादना,

९. मधेशियों को कमैया और कमलरी सहित के दास बनाना,

१०. मधेशियो के लिए अलग नियम कानून होना, जैसे की भूमि स्वामित्व पर अलग हकबन्दी, मुलुकी ऐन में मधेशी जात-जातियों के लिए अलग दण्ड-व्यवस्था आदी

जिस तरह से भारत में अंग्रेजो का औपनिवेशिक राज था, उसी तरह नेपालियों का औपनिवेशिक राज मधेश में है ! पर तुलनात्मक रूप में, भारत में रहे अंग्रेजी औपनिवेशिक शासन से मधेश में रहे नेपाली औपनिवेशिक शासन ज्यादा कठोर रहा है, जैसे की :-
१. बाह्रा सैन्य शक्ति की उपस्थिति :- अंग्रेजो के उपनिवेश में भारतीय सेना में बहुत ही कम प्रतिशत अंग्रेजी सैनिक थे, बाकी सैनिक भारतीय ही थे ! जैसे सन १८५७ के सिपाही विद्रोह के दौरान ९०% सैनिक भारतीय थे, केवल १०% अंग्रेज थे ! दुसरे विश्व युद्ध के दौरान केवल ३% सैनिक ही अंग्रेज थे, बाकी भारतीय ही थे ! पर मधेश की भूमि पर पूर्णत: नेपाली सेना आकर बैठी हुई है, और उसमें मधेशियों की संख्या लगभग नगन्य है !
२. प्रशासन और कर्मचारी :- अंग्रेजो के शासनकाल में भारत में कितने प्रशासक और कर्मचारी अंग्रेज थे और कितने भारतीय थे ? पर मधेश में बहुसंख्यक सरकारी प्रशासक और कर्मचारी नेपाली है, मधेशी नही !
३. लगान और राजश्व:- अंग्रेज भारत से लगान उठाते थे तो कुछ हद तक विकाश भी करते थे और जनता के लिए उचित व्यवस्था और प्रणाली कायम करने के लिए तत्पर रहते थे ! अंग्रेजों द्वारा संसार के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क को में से एक का भारत में निर्माण करने के कार्य को आज भी सराहा जाता है ! दूसरी ओर नेपाली शासक मधेश से भारी मात्र में लगान और राजश्व वसूली करते है, यहाँ तक की कुल ग्राहस्थ उत्पादन के ५९% और राजश्व के ७६% योगदान मधेश से मिलते हैं ! पर उनमें से अधिकांश शासक वर्ग के लोग अपने क्षेत्र में लेकर चला जाता है और वह उनके स्वार्थ का परिपोषण करने पर खर्च होता है ! वे मधेश में एक हुलाकी सड़क का निर्माण और मरमत करने तक पर ध्यान नही देते है, वही पहाड़ में फ़ास्ट ट्रयाक सुरंग मार्ग और चार और छह लेन की सडकें बनाते है !
४. आप्रवासन और विस्थापन :- सन १५५१ से सन २००१ बिच के ५० बर्ष के दौरान पहाड़ से आप्रवासित होकर मधेश में बसे पहाड़ियों की जनसख्यां ६% से बढकर ३३% हो गई, और भारी संख्या में मधेशी आदिवासी विस्थापित हुए ! भारत में आकर बसे अंग्रेज भारत की जनसंख्या के कितने प्रतिशत थे, और कितने भारतियों को विस्थापित किया गया ?
५. इतिहास और संस्कृति :- अंग्रेजो के शासनकालमें भारतीय इतिहास, संस्कृति, भाषा और साहित्य पर व्यापक खोज हुई ! पर नेपाली उपनिवेश काल में नेपाली भाषा, भेष भूषा और संस्कृति लादने के साथ साथ मधेशियों का इतिहास, पुरातत्व, भाषा, साहित्य, संस्कृति, भेष भूषा आदि को मिटाने की निति ली गई और मिटाने की कई प्रयत्न किये गए !
६. साधन स्रोत पर नियन्त्रण :- नेपाली उपनिवेश में मधेश के जल, जमीन और जंगल पर मधेशियों को कितना अधिकार दिया गया है ? नेपाल के शासकवर्ग मधेश के जंगल को कटवाकर बेच डाले, पर मधेशियों को अपने ही खेत का एक सुखे वृक्ष काटने के लिए भी नेपाल सरकार से अनुमति लेनी पडती है, मधेशियों के द्वरा एक भार जलावन एक जगह से दूसरी जगह लाने पर नेपाल पुलिस उन्हें पकडती है! अपने ही खेत के उपजे चार-पाँच किलो दाल या सुपारी एक जगह से दूसरी जगह लाते वक्त नेपाली पुलिस मधेशियों को तस्कर कहके यातना देती हैं !
७. दासता:- नेपालियों ने लाखो मधेशियो की जमीन हडपकर उन्हें अपनी ही जमीन पर भूमिहीन बनाकर कमैया, कमलरी और दास बना दिया ! कई मधेशी सदा के लिए विस्थापित हो कर शरणार्थी हो गए! जो रह गए वे  नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए और नेपाली शासक के शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण का शिकार बनते रहे !              

मधेश के मुद्धे



१. नेपाली उपनिवेश
अंग्रेजों ने सन १८१६ और १८६० की सन्धियों के द्वारा मधेश को नेपाल के राजा को सौप दिया,और सन १९२३ की सन्धि द्वारा नेपालको स्वतन्त्र देश के रूप में मान्यता देने के बाद मधेश नेपालका उपनिवेश बन गया ! यहाँ तक की १९५८ तक मधेश से नेपाल (घाटी) जाने के लिए मधेशियों को पासपोर्ट लेना पड़ता था, जो चिसापानी गढ़ीमें जाँच की जाती थी !
२. रंग भेद
मधेशियों को "काले" मानकर उनके साथ नेपाली राज में भेदभाव किया जाता है और मधेशी लोग अनेकों सामाजिक दुर्व्यवहार के शिकार होते रहे हैं !
३. दासता
मधेशियों को नेपाली शासक कमैया, कमलरी और दास बनाकर शोषण करते रहे है ! यहाँ तक की क़ानूनी रूपमें किसी गुनाह की सजा स्वरूप नेपाली राज में १९२० तक मधेशियो को दास बनाया जा सकता था !
४. विस्थापन
सन १९५१ से २००१ के बीच मधेश में नेपालियों/पहाड़ियों की जनसंख्या ६% से बढकर ३३% हो गई ! उसी तरह सन २००१ में नेपाली साम्राज्यकी पूरी जनसंख्या का ४८.४% मधेश में था परन्तु सन २०११ में वह बढकर ५०.३% हो गई ! ईस तरह से पहाड़ियों का मधेश की भूमि पर आकर कब्ज़ा करके बस जाने से भारी संख्या में मधेशी आदिवासी लोग विस्थापित होते रहे हैं !
५. जातीय सफाया और दंगे
 मधेशी लोग नेपाली राज में अनेकों जातीय सफाया और दंगे के शिकार होते रहे हैं ! ऋतिक रोशन काण्ड और नेपालगंज घटना जैसे दंगो को फ़ैलाने और प्रश्रय देने में नेपाली प्रशासन और पुलिस का भी हाथ रहता आया है !
६. नागरिकता
आज भी लाखो मधेशी नागरिकता से विहीन है, जिसके कारण वे भूमि स्वामित्व से लेकर सरकारी नौकरी और सेवा से भी वंचित रहते आए हैं !
७. मौलिक अधिकारों का हनन
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लगायत के मौलिक अधिकारों से कई मधेशी वंचित होने क्व साथ साथ नागरिकता के अभाव में लाखों मधेशी मतदान अधिकार से भी वंचित होते रहे हैं !
८. आर्थिक दोहन
मधेश के जल, जमीन और जंगल लगायत के स्रोतों पर नेपाल सरकार मधेशी प्रतिकूल नियन्त्रण कायम करने के साथ-साथ राजस्व, सीमा शुल्क, बजार नियन्त्रण, व्यापार आदि सम्बन्धी आर्थिक निति मधेशियों को व्यापक शोषण करने पर लक्षित करके मधेशका आर्थिक दोहन किया जाता है ! 
९. नेपालीकरण
मधेश में नेपालियों को पहाड़ से लाकर बसाके तथा मधेश में नेपाली भाषा, वेश और संस्कृति लादकर मधेश का नेपालीकरण किया जाता रहा है !
१०. असमान कानून और व्यवस्था
नेपाली राज में मधेश और मधेशियों के लिए कानून और व्यवस्था असमान रहती आई है ! वर्तमान में भी नागरिकता, भूमि हदबन्दी, वन उपभोग, भाषा-संस्कृति, आप्रवासन आदि सम्बन्धी कानून मधेसियों प्रति अन्यायपूर्ण है ! 
११. सीमावर्ती क्षेत्रों में यातना
नेपाल और भारत दोनों ओर के सुरक्षाकर्मियों और अधिकारीयों के द्वारा मधेशी लोग उत्पीडित होते रहे हैं ! भारतीय मुद्रा का अभाव और सीमा आरपार करने पर दुर्व्यवहार झेलने से लेकर भारतीय बाँध के कारण दर्जनों मधेशी गाँव बाढ़ और डूबान से पीड़ित होने तक, अनेकों समस्याओं से मधेशी लो उत्पीडित होते रहें हैं !
१२. गैर न्यायिक हत्या
एक के बाद दूसरी सुरक्षा योजना और सुरक्षा विधेयक लाकर नेपाल सरकार द्वारा दर्जनौ निर्दोष मधेशी कार्यकर्ताओं हत्याएँ की जा रही है !
१३. विकास का आभाव और गरीबी
उर्बर भूमि और अन्न के भण्डार के लिए जाने गए मधेश नेपाली राज की नीति के कारण आज विकास का अभाव और गरीबी से उत्पीडित है! सिंचाई व्यवस्था, सड़क, अस्पताल और काँलेज जैसे मधेश के भौतिक, पूर्वधार उपेक्षित होने के साथ-साथ मधेशियों की बहुत बड़ी संख्या गरीबी और कुपोषण के शिकार हो गई हैं ! मधेश में १९% परिवार अति खाध्धान्न आभाव वाले परिवार है ! ५०% बच्चे रक्त अल्पता के शिकार है, २०% बच्चे अपक्षय की स्थिति में है और ४२% महिलाएँ रक्त अल्पता के शिकार है ! नेपाली राज में सब से कम साक्षरता दर वाले जिले भी मधेश में हैं और मधेश की जिलो का मानव विकास सूचकांक भी बहुत कम है !  
१४. विवेद और उपेक्षा
नेपाली राज संयन्त्र के हर क्षेत्र में मधेशियों के प्रति विभेद रहा हैं और हर क्षेत्र में प्राय: मधेशियों को १२% से कम ही स्थान मिला है ! निजामती सेवा/प्रशासन में केवल ८-९%, न्यायपालिका में केवल ८% और तथा सुरक्षा निकायों के उच्च पदों में लगभग न्यून % मधेशियों की उपस्थिति रही है ! नेपाली नागरिक समाज और मिडिया से भी मधेशी बहुत उपेक्षित हैं !
१५. अन्तराष्ट्रीय दबाब
मधेश प्रति संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, विलायत,चीन लगायत के अन्तराष्ट्रीय शक्तियों की भी स्पष्ट या अनुकूल निति नही होनें की वजह से अन्तराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी मधेशी पीड़ित है ! यहाँ तक की विदेशी अनुदान, सहयोग और परियोजनाओं में भी मधेशियों को उचित हिस्सा नही मिल पाता हैं !

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