१. नेपाली उपनिवेश
अंग्रेजों ने सन १८१६ और १८६० की सन्धियों के द्वारा मधेश को नेपाल के राजा को
सौप दिया,और सन १९२३ की सन्धि
द्वारा नेपालको स्वतन्त्र देश के रूप में मान्यता देने के बाद मधेश नेपालका उपनिवेश
बन गया ! यहाँ तक की १९५८ तक मधेश से नेपाल (घाटी) जाने के लिए मधेशियों को पासपोर्ट
लेना पड़ता था, जो चिसापानी गढ़ीमें जाँच की जाती थी !
२. रंग भेद
मधेशियों को "काले" मानकर उनके साथ नेपाली राज में भेदभाव किया जाता
है और मधेशी लोग अनेकों सामाजिक दुर्व्यवहार के शिकार होते रहे हैं !
३. दासता
मधेशियों को नेपाली शासक कमैया, कमलरी और दास बनाकर शोषण करते रहे है ! यहाँ तक की क़ानूनी रूपमें
किसी गुनाह की सजा स्वरूप नेपाली राज में १९२० तक मधेशियो को दास बनाया जा सकता था
!
४. विस्थापन
सन १९५१ से २००१ के बीच मधेश में नेपालियों/पहाड़ियों की जनसंख्या ६% से बढकर ३३%
हो गई ! उसी तरह सन २००१ में नेपाली साम्राज्यकी पूरी जनसंख्या का ४८.४% मधेश में था
परन्तु सन २०११ में वह बढकर ५०.३% हो गई ! ईस तरह से पहाड़ियों का मधेश की भूमि पर आकर
कब्ज़ा करके बस जाने से भारी संख्या में मधेशी आदिवासी लोग विस्थापित होते रहे हैं
!
५. जातीय सफाया और दंगे
मधेशी लोग नेपाली राज में अनेकों जातीय
सफाया और दंगे के शिकार होते रहे हैं ! ऋतिक रोशन काण्ड और नेपालगंज घटना जैसे दंगो
को फ़ैलाने और प्रश्रय देने में नेपाली प्रशासन और पुलिस का भी हाथ रहता आया है !
६. नागरिकता
आज भी लाखो मधेशी नागरिकता से विहीन है, जिसके कारण वे भूमि स्वामित्व से लेकर सरकारी नौकरी
और सेवा से भी वंचित रहते आए हैं !
७. मौलिक अधिकारों का हनन
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लगायत के मौलिक अधिकारों से कई मधेशी वंचित होने क्व
साथ साथ नागरिकता के अभाव में लाखों मधेशी मतदान अधिकार से भी वंचित होते रहे हैं
!
८. आर्थिक दोहन
मधेश के जल, जमीन और जंगल लगायत के स्रोतों पर नेपाल सरकार मधेशी प्रतिकूल नियन्त्रण कायम करने
के साथ-साथ राजस्व, सीमा शुल्क, बजार नियन्त्रण, व्यापार आदि सम्बन्धी आर्थिक निति मधेशियों को व्यापक शोषण करने पर लक्षित करके
मधेशका आर्थिक दोहन किया जाता है !
९. नेपालीकरण
मधेश में नेपालियों को पहाड़ से लाकर बसाके तथा मधेश में नेपाली भाषा, वेश और संस्कृति लादकर मधेश का
नेपालीकरण किया जाता रहा है !
१०. असमान कानून और व्यवस्था
नेपाली राज में मधेश और मधेशियों के लिए कानून और व्यवस्था असमान रहती आई है !
वर्तमान में भी नागरिकता, भूमि हदबन्दी, वन उपभोग, भाषा-संस्कृति, आप्रवासन आदि सम्बन्धी कानून मधेसियों प्रति अन्यायपूर्ण है !
११. सीमावर्ती क्षेत्रों में यातना
नेपाल और भारत दोनों ओर के सुरक्षाकर्मियों और अधिकारीयों के द्वारा मधेशी लोग
उत्पीडित होते रहे हैं ! भारतीय मुद्रा का अभाव और सीमा आरपार करने पर दुर्व्यवहार
झेलने से लेकर भारतीय बाँध के कारण दर्जनों मधेशी गाँव बाढ़ और डूबान से पीड़ित होने
तक, अनेकों समस्याओं से मधेशी
लो उत्पीडित होते रहें हैं !
१२. गैर न्यायिक हत्या
एक के बाद दूसरी सुरक्षा योजना और सुरक्षा विधेयक लाकर नेपाल सरकार द्वारा दर्जनौ
निर्दोष मधेशी कार्यकर्ताओं हत्याएँ की जा रही है !
१३. विकास का आभाव और गरीबी
उर्बर भूमि और अन्न के भण्डार के लिए जाने गए मधेश नेपाली राज की नीति के कारण
आज विकास का अभाव और गरीबी से उत्पीडित है! सिंचाई व्यवस्था, सड़क, अस्पताल और काँलेज जैसे मधेश के भौतिक, पूर्वधार उपेक्षित होने के साथ-साथ
मधेशियों की बहुत बड़ी संख्या गरीबी और कुपोषण के शिकार हो गई हैं ! मधेश में १९% परिवार
अति खाध्धान्न आभाव वाले परिवार है ! ५०% बच्चे रक्त अल्पता के शिकार है, २०% बच्चे अपक्षय की स्थिति में
है और ४२% महिलाएँ रक्त अल्पता के शिकार है ! नेपाली राज में सब से कम साक्षरता दर
वाले जिले भी मधेश में हैं और मधेश की जिलो का मानव विकास सूचकांक भी बहुत कम है
!
१४. विवेद और उपेक्षा
नेपाली राज संयन्त्र के हर क्षेत्र में मधेशियों के प्रति विभेद रहा हैं और हर
क्षेत्र में प्राय: मधेशियों को १२% से कम ही स्थान मिला है ! निजामती सेवा/प्रशासन
में केवल ८-९%, न्यायपालिका में केवल ८% और तथा सुरक्षा निकायों के उच्च पदों में लगभग न्यून
% मधेशियों की उपस्थिति रही है ! नेपाली नागरिक समाज और मिडिया से भी मधेशी बहुत उपेक्षित
हैं !
१५. अन्तराष्ट्रीय दबाब
मधेश प्रति संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, विलायत,चीन लगायत के अन्तराष्ट्रीय शक्तियों की भी स्पष्ट या अनुकूल निति नही होनें की
वजह से अन्तराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी मधेशी पीड़ित है ! यहाँ तक की विदेशी अनुदान,
सहयोग और परियोजनाओं में भी मधेशियों
को उचित हिस्सा नही मिल पाता हैं !
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