Friday, December 31, 2010

नमक हराम नेता !!!!

फैल रही है अराजकता स्वार्थलिप्सा की छाओमे !!

बह रही है खुनकी नदियाँ मधेश की हर गाओमे !!

चल रही है गुन्डागर्दी अपहरण हत्या और फिरौती

की संजाल गदार नेताओ की आडमे !!

उसको तो सताकी कुर्सि और बैंक बैलेन्स चाहिए !!

चाहे देश की जनता जाये भाड्मे !!

लुट गई जनताकी अमन चैन छिन गयी आँखोकी निन्द !!

मधेश आन्दोलन की काम मे !!

सुनी होगयी माँ की गोद, धुल गयी माथेकी सिन्दुर !!

अनाथ हो गये सैकड़ो बचे आमुल परिवर्तनकी नाममे !!

फिर भी न मिल पाया एक जन्मशिधनागरिक अधिकार !!

मधेश मुदों को कायर नेताओ ने बना डाला अपने पैकेट

भरने का राजनीति व्यापार !!

धिकार है तुम मधेसी नेताओ पे,जो भुल गया उन सहिदों का सपना !!

मधेस आन्दोलन को सफल बनाया प्राणआहुति दे के अपना !!

कायर और कतार नेताओ भरले तुझे झोली जितना है भर्ना !!

जब जनता जाग जाएगी एक ऐसा तुफान आयेगा !!

मिट जाएगा तेरा बहुरुपिये और नौटंकीबालि हस्ती !!

डुब जाएगा तेरा गंदी राजनीति की कस्ती !!

फिर कायम होगा अमन चैन और

समृद्ध समाज की एक आदर्श बस्ती !!!!!!!!!!!!!

कविता का रचनाकार :-- प्रभात राय भट्ट

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