प्रदेश नं २ सरकार द्वारा मधेशियों के साथ घोर षड्यन्त्र : ७२.५% से ज्यादा नौकरियों में एकल जाति/पहाडियों की कब्जा जमाने का षड्यन्त्र।
प्रदेश नं २ सरकार द्वारा अंधेरे रस्ते से, चोरी-चोरी, दर्जनों विधेयक और ऐन लाया जा रहा है, प्रमाणीकरण किया जा रहा है। जहाँ उसमें समानुपातिक समावेशी का सिद्धान्त लगाकर मधेशियों को न्याय देना था, वहीं उसमें षड्यन्त्रकारियों द्वारा इस तरह से प्रावधान लाया जा रहा है, ताकि पूरे ७२.५% नौकरी और पदों पर किसी एकल जाति / पहाडियों की कब्जा हो जाये। उससे ज्यादा भी हो सकता है क्योंकि दूसरे कोटा में भी वही दाबे करेंगे। ऐसे प्रावधान से सिद्धान्तत: पूरे सीटों के 72.5% + 6.8% + 2.3% करके ८०% से ज्यादा पर पहाडियों का कब्जा भी हो सकता है ! और मधेस में ही मधेशियों को २०% सीट भी पाना मुश्किल होगा !
इसके अलावा ऐसे-ऐसे षड्यन्त्र किया गया है कि आरक्षणवाला सीट में मधेशियों को हटाने की पूरी कोशिस की जायेगी, आन्तरिक खुला परीक्षा के नाम पर।
अगर ऐसी आरक्षण की व्यवस्था लगाना है, तो मधेशियों को पूर्ण समानुपातिक की व्यवस्था लागू करना सम्भवत: बेहतर होगा; पूरे १००% में सर्वप्रथम क्लस्टर करके, उसमें महिला, फिर उस क्लस्टर के भीतर में खुला और आरक्षित किया जाना सम्भवत: बेहतर और सुरक्षित रहेगा। अभी जो आरक्षण दिया गया है, वह ४५% को १००% मानकर, उसमें भी महिला को ५०% हटाकर अलग कर दिया गया है। अर्थात् सिर्फ २२.५% के भीतर ६ क्लस्टर करके आरक्षण दिया है, जिसमें आदिवासी जनजातिको १५%, मधेसी (कौन-कौन?) को १३%, दलितको ७%, मुस्लिमको ५%, थारुको ५% और खस आर्यको ५% दिया गया है। परन्तु इसका इफेक्टिव आरक्षण प्रतिशत बहुत कम होगा क्योंकि आरक्षण से मिले सीटों को सौ प्रतिशत अर्थात् पूरे सीट के मापदंड पर देखना होगा।
अत: अन्तत: इफेक्टिव आरक्षण मधेशी के लिए सिर्फ ५.९%, दलित के लिए ३.२% (जनसंख्या १८.३%), मुस्लिम के लिए २.३% (जनसंख्या ११.६%) और थारु के लिए २.३% (जनसंख्या ५.३%) ही होगा। दुसरे समुदाय जैसे यादव, कुर्मी, कोइरी आदि के १ भी लोग जा पायेंगे की नहीं, इसकी कोई गैरन्टी इस प्रावधान में नहीं है, सिद्धान्तत: १ भी नहीं जा सकते हैं।
(नोट: जिन लोगों को यह व्यवस्था पसंद नहीं, वे संघीय/प्रदेश सरकार से कहें, यह व्यवस्था कोई हमने नहीं लाई है !)
बड़ी आश्चर्य की बात है इतना बड़ा-बड़ा षडयन्त्र मधेशियों के साथ किया जा रहा है, और सचेत कराने तक के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहे हैं। हम भी चूप ही थे परंतु इससे पहले की बात बहुत बिगड़ जाये, सचेत कराना दायित्व है। मधेशी जनता खुद इन आँकडों को खुद देखें और सचेत हों। क्योंकि एक बार विभेद ऐन और कानून में संस्थागत हो गया, एक बार कर्मचारी और पुलिस की भर्त्ती हो गई, तो फिर बदलना बहुत ही मुश्किल होगा।
मधेशियों के साथ षडयन्त्र बंद हो
मधेश देश स्वतन्त्र हो
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आरक्षणवारे किन छ राजपा र फोरमको दोहोरो नीति ?
http://ratopati.com/story/51151
प्रदेश प्रहरी सेवालाई समावेशी बनाउन खुल्ला प्रतियोगितात्मक परीक्षाद्वारा पूर्ति हुने पदमध्ये ४५ प्रतिशत पद छुट्याई सो प्रतिशितलाई शत प्रतिशत मानी सात क्लस्टरमा आरक्षणको व्यवस्था गरेको छ । ५५ प्रतिशतलाई खुल्ला प्रतिस्पर्धाद्वारा चयन गर्नेछ भने ४५ प्रतिशत आरक्षण प्राणालीबाट चयन गर्ने जनाइएको छ । जसमा महिलालाई ५० प्रतिशत, आदिवासी जनजाति १५ प्रतिशत, मधेसीलाई १३ प्रतिशत, दलितलाई ७ प्रतिशत, मुस्लिमलाई ५ प्रतिशत, थारुलाई ५ प्रतिशत र आर्थिक रूपले विपन्न खस आर्यलाई पाँच प्रतिशत आरक्षण दिएको छ ।
प्रदेश २ मा मधेसी दलितको सङ्ख्या १८.३ प्रतिशत, यादवको सङ्ख्या १४.१५ प्रतिशत, मुसलमानको सङ्ख्या ११.६ प्रतिशत, पहाडीको सङ्ख्या १२.६ प्रतिशत, मधेसी आदिवासीको सङ्ख्या ८.४ प्रतिशत, कोइरीको सङ्ख्या ४.१ प्रतिशत, कुर्मीको सङ्ख्या ३ प्रतिशत, मधेसी उच्च जातिको सङ्ख्या २.९६ प्रतिशत र अन्यको सङ्ख्या १९ प्रतिशत रहेका छन् ।