अगर हम ५०% से
ज्यादा मत “कोठली के बाहर” पाने में सफल रहे, तो समझो मधेश में नेपाल का संविधान और निर्वाचन खारिज हो गया, और मधेशियों को स्थायी रुप से सारे अधिकार मिलने का
द्वार खुल गया ! #NOTA #RightToReject
#IndirectReferendum
- यह हमारे लिए अप्रत्यक्ष जनमतसंग्रह है, कि नेपाल के काला संविधान को मधेशियों ने स्वीकारा कर लिया है या मधेशी जनता आजादी चाहती है, वह जनमतसंग्रह अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर काफी सशक्त संदेश देगा।
- यह मधेशी शहिदों के प्रति सम्मान है, क्योंकि उनकी सपनों को पूरा किए बिना पार्टियों के द्वारा निर्वाचन में भाग लेना और उसको मत देना सर्वथा अनुचित है।
- यह मधेश आन्दोलन के प्रति एकबद्धता है, क्योंकि मधेश आंदोलन की ११ बूँदे मांगो में से कोई माँग को पूरा किए बिना पार्टी के रुप में निर्वाचन में भाग लेना अनुचित है, और ऐसे पार्टियों को मत देना सर्वथा अनुचित है।
- यह मधेशी एकता का आधार है, क्योंकि टूटेफुटे पार्टियों के बीच में जनमत विभाजन करने के बदले सभी मधेशियों द्वारा “कोठली के बाहर” मोहर मारकर मधेशी एकता का सशक्त संदेश दिया जा सकता है। यह टूटेफूटे पार्टी तथा मधेशी जनमत को तोडने के षडयन्त्र का बहिष्कार है।
- यह नेपाल के काला संविधान को अस्वीकृत करने का माध्यम है।
- यह मधेश आंदोलन को जारी रखने की प्रक्रिया है। चाहे नेपाली शासक जो भी करे, हम उसे आन्दोलन का स्वरुप देंगे, यह हमारा स्टेटमेन्ट है।
- निर्वाचन के क्रम में चूप रहने से जो भ्याकूम (सूनापन) और शिथिलता मधेशी आन्दोलनकारी और जनता में देखी जाी, उसको हटाने का जरिया है।
- यह नेपाली सेना पुलिस लगाकर जबरजस्ती मधेशियों पर संविधान लादने और निर्वाचन करानेवाले नेपाली शासकों के मुँह पर जोडदार तमाचा है।
- यह मधेशी एकता और स्वतन्त्रता के लिए विजय यात्रा भी है क्योंकि जो चिन्ह सबसे ज्यादा मत लाएगी उससे ज्यादा मोहर अगर “कोठली बाहर” लगती है, तो वह मधेशी एकता और स्वतन्त्रता का विजय है।
- यह अन्तरराष्ट्रिय समुदाय को स्वतन्त्र मधेश के पक्ष में संदेश देने का बहुत ही कंक्रिट तरीका है। कोठली के बाहर मत / मतबदर प्रतिशत पूरे अन्तरराष्ट्रिय समुदाय देखेगा, और वह १५% से ऊपर भी हो तो भी बहुत ही कड़ा संदेश देने में हम सफल होंगे।
- मधेश के जो नेता, पार्टी, संघ संगठन मधेश आंदोलन, मधेशी जनता और मधेशी शहिद प्रति इमान्दार नहीं होकर फिर वही १-२ सीटें जीतकर सत्ता भत्ता की राजनीति करना चाहते हैं, उनके लिए मधेशी जनता के पक्ष में खड़ा रखे रहने के लिए यह दबाब देने का बहुत ही प्रभावकारी जरिया है।
- यह जारी मधेश आन्दोलन को निष्कर्ष में पहुँचाने का सशक्त माध्यम है।
- यह ५-१० वर्ष में एक ही बार आनेवाले अवसर का सदुपयोग है, जो अवसर बार-बार नहीं मिल सकता।
- यह नेपाल की ही पुलिस, सेना, उसी की कर्मचारी, उसी का बैलट पेपर, उसी की मतगणना प्रयोग करके अपना “मेसेज” देने का और विरोध प्रदर्शन करने का उच्चतम और प्रभावकारी शांतिपूर्ण आन्दोलन है।
- यह मधेशी जनता अभी सोई नहीं है, थकी नहीं है, अभी भी जागी और ऊर्जाशील है, संदेश देने का सशक्त माध्यम है। यह नेपाली शासकों को चेतावनी है।
- मधेशियों का अधिकार छीननेवाला और मधेशी पर गुलामी लादने वाला नेपाल के काला संविधान को लागू होने से रोकने या खारिज करने का जो काम डेढ-दो वर्ष से जारी सडक आन्दोलन नहीं कर सका, घनघोर नाकेबन्दी नहीं कर सकी, ६० शहिदों की बलिदानी नहीं कर सकी, हजारों जुलुस और सभा नहीं कर सकी, वह काम “कोठली के बाहर मोहर” मारकर आसानी से, शांतिपूर्ण तरीका से किया जा सकता है, यह ऐसा मास्टर स्ट्रोक है। इसलिए…