Monday, June 19, 2017

“कोठली बाहर मोहर” क्यों ? : डा. सी. के. राउत



अगर हम ५०% से ज्यादा मत कोठली के बाहरपाने में सफल रहे, तो समझो मधेश में नेपाल का संविधान और निर्वाचन खारिज हो गया, और मधेशियों को स्थायी रुप से सारे अधिकार मिलने का द्वार खुल गया ! #NOTA #RightToReject #IndirectReferendum
  1. यह हमारे लिए अप्रत्यक्ष जनमतसंग्रह है, कि नेपाल के काला संविधान को मधेशियों ने स्वीकारा कर लिया है या मधेशी जनता आजादी चाहती है, वह जनमतसंग्रह अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर काफी सशक्त संदेश देगा।
  2. यह मधेशी शहिदों के प्रति सम्मान है, क्योंकि उनकी सपनों को पूरा किए बिना पार्टियों के द्वारा निर्वाचन में भाग लेना और उसको मत देना सर्वथा अनुचित है।
  3. यह मधेश आन्दोलन के प्रति एकबद्धता है, क्योंकि मधेश आंदोलन की ११ बूँदे मांगो में से कोई माँग को पूरा किए बिना पार्टी के रुप में निर्वाचन में भाग लेना अनुचित है, और ऐसे पार्टियों को मत देना सर्वथा अनुचित है।
  4. यह मधेशी एकता का आधार है, क्योंकि टूटेफुटे पार्टियों के बीच में जनमत विभाजन करने के बदले सभी मधेशियों द्वारा कोठली के बाहरमोहर मारकर मधेशी एकता का सशक्त संदेश दिया जा सकता है। यह टूटेफूटे पार्टी तथा मधेशी जनमत को तोडने के षडयन्त्र का बहिष्कार है।
  5. यह नेपाल के काला संविधान को अस्वीकृत करने का माध्यम है।
  6. यह मधेश आंदोलन को जारी रखने की प्रक्रिया है। चाहे नेपाली शासक जो भी करे, हम उसे आन्दोलन का स्वरुप देंगे, यह हमारा स्टेटमेन्ट है।
  7. निर्वाचन के क्रम में चूप रहने से जो भ्याकूम (सूनापन) और शिथिलता मधेशी आन्दोलनकारी और जनता में देखी जाी, उसको हटाने का जरिया है।
  8. यह नेपाली सेना पुलिस लगाकर जबरजस्ती मधेशियों पर संविधान लादने और निर्वाचन करानेवाले नेपाली शासकों के मुँह पर जोडदार तमाचा है।
  9. यह मधेशी एकता और स्वतन्त्रता के लिए विजय यात्रा भी है क्योंकि जो चिन्ह सबसे ज्यादा मत लाएगी उससे ज्यादा मोहर अगर कोठली बाहरलगती है, तो वह मधेशी एकता और स्वतन्त्रता का विजय है।
  10. यह अन्तरराष्ट्रिय समुदाय को स्वतन्त्र मधेश के पक्ष में संदेश देने का बहुत ही कंक्रिट तरीका है। कोठली के बाहर मत / मतबदर प्रतिशत पूरे अन्तरराष्ट्रिय समुदाय देखेगा, और वह १५% से ऊपर भी हो तो भी बहुत ही कड़ा संदेश देने में हम सफल होंगे।
  11. मधेश के जो नेता, पार्टी, संघ संगठन मधेश आंदोलन, मधेशी जनता और मधेशी शहिद प्रति इमान्दार नहीं होकर फिर वही १-२ सीटें जीतकर सत्ता भत्ता  की राजनीति करना चाहते हैं, उनके लिए मधेशी जनता के पक्ष में खड़ा रखे रहने के लिए यह दबाब देने का बहुत ही प्रभावकारी जरिया है।
  12. यह जारी मधेश आन्दोलन को निष्कर्ष में पहुँचाने का सशक्त माध्यम है।
  13. यह ५-१० वर्ष में एक ही बार आनेवाले अवसर का सदुपयोग है, जो अवसर बार-बार नहीं मिल सकता।
  14. यह नेपाल की ही पुलिस, सेना, उसी की कर्मचारी, उसी का बैलट पेपर, उसी की मतगणना प्रयोग करके अपना मेसेजदेने का और विरोध प्रदर्शन करने का उच्चतम और प्रभावकारी शांतिपूर्ण आन्दोलन है।
  15. यह मधेशी जनता अभी सोई नहीं है, थकी नहीं है, अभी भी जागी और ऊर्जाशील है, संदेश देने का सशक्त माध्यम है। यह नेपाली शासकों को चेतावनी है।
  16. मधेशियों का अधिकार छीननेवाला और मधेशी पर गुलामी लादने वाला नेपाल के काला संविधान को लागू होने से रोकने या खारिज करने का जो काम  डेढ-दो वर्ष से जारी सडक आन्दोलन नहीं कर सका, घनघोर नाकेबन्दी नहीं कर सकी, ६० शहिदों की बलिदानी नहीं कर सकी, हजारों जुलुस और सभा नहीं कर सकी, वह काम कोठली के बाहर मोहरमारकर आसानी से, शांतिपूर्ण तरीका से किया जा सकता है, यह ऐसा मास्टर स्ट्रोक है। इसलिए

Saturday, June 10, 2017

कोठली बाहर मतदान करें और मधेशी शहीदोंका सम्मान करें : डॉ. सी. के राउत



कोठली बाहर मोहरलगाके नेपाल का काला संविधान अस्वीकार करें,
पूरी मधेशी जनताको विजय बनावें,
मधेशी शहीदका लाज रखें,
मधेशी एकताबनाए रखें,
मधेशी एकता का निशान - कोठली बाहर मतदान
शहिदों का हो सम्मान - कोठली बाहर मतदान
मधेशी एकता का आधार - मोहर मारो कोठली बाहर
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दर्जनों गूटफूट करो बहिष्कार
कोठली के बाहर छाप - गुलामी अंत करो आप
कोठली बाहर मोहर मारो - काला संविधान खारिज करो
मधेश आंदोलन जारी है - कोठली बाहर मतदान की बारी है
आखिर क्या मिला ?
हमने २०० वर्ष नेपालियों की गुलामी की, क्या मिला? कुछ भी नहीं।
बाप दादा से लेकर अभी तक हमने नेताओं का झोलाढोया, क्या मिला? कुछ भी नहीं।
खूद भूखा रहकर भी नेताओं को बासमती चावल और मछली दे आए, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
हमने ७० वर्ष से आंदोलन किया, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
सैंकडौं मधेशी शहीद हो गए, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
मांग पर मांग रखते रहे, क्या मिला ? कुछ भी नहीं।
समझौते पर समझौते हुए, क्या मिला? कुछ भी नहीं।
पार्टी पर पार्टी बनी, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
निर्वाचन पर निर्वाचन हुए, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
हमने ५ महिने नाकेबंदी आंदोलन किया, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
स्थानीय नेताओं ने पुलिस से मिलकर कालाबाजारी की, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं। हमने संविधान जारी होने दिया, क्या मिला? कुछ भी नहीं।
संविधान लागू हुआ, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
हमने १ मधेश १ प्रदेश नारा लगाया था, क्या मिला ? छ टुकड़ों में छिन्नभिन्न मधेश।
मधेशी को मरते छोड नेताओं ने राष्ट्रपति निर्वाचन में भाग लिया, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
नेताओं ने प्रधानमंत्री निर्वाचन में भाग लिया, जनता को क्या मिला? कुछ भी नहीं।
११ बूँदे मांगों में से कौन सी मांग पूरी हुई ?
आखिर डेढ़-दो वर्ष घनघोर मधेश आंदोलन करने से, ५ महिने कठीन नाकेबंदी करने से, ६० लोगों की बलिदानी देने से, ५०ओं बार वार्ता करने से, तीसरा मधेश आंदोलन की ११ बूँदे मांगों में से कौन सी मांग पूरी हुई ?
1. समग्र मधेश २ स्वायत्त प्रदेश
पूरी नहीं हुई
2. मौलिक हक में सामुदायिक समानुपातिक समावेशी धारा
पूरी नहीं हुई
3. राज्य के सम्पूर्ण अंग में समानुपातिक समावेशी
पूरी नहीं हुई
4. जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र/प्रतिनिधि
पूरी नहीं हुई
5. वैवाहिक नागरिकता अन्तरिम संविधान अनुसार
पूरी नहीं हुई
6. अदालत में समानुपातिक समावेशी
पूरी नहीं हुई
7. बहुभाषिक नीति
पूरी नहीं हुई
8. आयोग में प्रतिनिधित्व
पूरी नहीं हुई
9. स्थानीय निकाय गठन प्रादेशिक कानून के अनुसार
पूरी नहीं हुई
10. सेना लगायत के सुरक्षा निकाय में समानुपातिक समावेशी
पूरी नहीं हुई
11. बहुराष्ट्रिय राज्य की सुनिश्चितता
पूरी नहीं हुई
तो आप किस नेताओं के चक्कर में धोखा खा रहे हैं ?
जब मधेशियों की कोई मांग ही पूरी नहीं हुई, जब शहिदों का सपना अभी पूरा का पूरा बांकी है, तो इस निर्वाचन में किसी पार्टी या नेता को मतदान करके नेपाल के काला संविधान को वैधानिकता क्यों दें ? नेपाल में नेतालोग चुनाव जितेंगे, मंत्री सांसद् बनते रहेंगे, पर मधेशियों को कुछ नहीं मिला है। इसलिए, मधेशियों का अधिकार छीनने वाले और मधेशियों को गुलाम बनाने वाले, मधेशियों की हत्या कराने वाले नेपाल के संविधान को वैधानिकता न दें, दर्जनों पार्टी में न उलझे, मधेशी जनमत को दर्जनों पार्टी के बीच में न बाँटे; कोठली बाहर छाप मारके, “राइट टू रिजेक्टप्रयोग करके, मधेशी एकता का परिचय दें। मधेशी जनता, शहीद और एकता को विजय बनावें।
यह हमारी अग्‍नि परीक्षा है,
यह हमारा जनमत-संग्रह है,
पूरे विश्व को सशक्त संदेश है,
कि मधेशी जनता ने नेपाल के काला संविधान को स्वीकार कर लिया है या नहीं !
कोठली के बाहर मोहरमारके भारी बहुमत से मधेशी पूर विश्व को बतावें कि मधेशियों का अधिकार छीननेवाला नेपाल का काला संविधान मधेशियों को स्वीकार नहीं ! मधेशियों को अधिकार चाहिए, उसकी मांग अभी पूरी होनी बांकी है।
अपने घर में बैठकर मुँह छुपाकर नहीं,
बूथ पर जाकर मुँहतोड़ जबाव देना है
मधेशी वीर शहिदों ने अपनी पत्‍नी और छोटे-छोटे बच्चों की परवाह न करके, हमारे लिए अपने जीवन की बलिदानी दे दी। तो वोट देने के लिए हम कैसे और क्यों अपने रिश्तेदारों की परवाह करें ? हमें उन वीर मधेशी शहिदों को याद करके उनके लिए कोठली के बाहर मोहरमारना होगा। मधेशी वीर शहिदों ने जलती हुई सडक पर जाकर, बन्दुक की गोलियों के बीच में, हमारे अधिकार के लिए नारे लगाते लडते हुए अपने जीवन की कुर्बानी दे दी। तो क्या हम अपने घर से निकलकर बूथ तक जाके, उन वीर शहिदों के लिए कोठली के बाहर मोहरमार नहीं सकते ? इसलिए घर में मुँह छूपाकर नहीं, बूथ पर जाकर कोठली के बाहर मोहरमारके, सेना पुलिस लगाकर जबरजस्ती संविधान लादने और निर्वाचन करानेवाले नेपाली शासकों को हमें मुँहतोड़ जवाब देना होगा !



जनमत पार्टीका एजेण्डा: सुशासन, सेवा-प्रवाह, स्वायत्तता

जनमत पार्टीका एजेण्डा: सुशासन, सेवा-प्रवाह, स्वायत्तता । #cp #सुशासन: यसका तीन पक्षहरू छन्। कुनै पनि तहमा कुनै पनि स्तरको #भ्रष्टाचार हुनुहु...