मधेश आजादी के लिए शासकवर्ग या उनकी "पहाडी" पार्टी से कई हजार गुणा घातक रहा है मधेश गद्दारों की पार्टी। क्यों ? क्योंकि सिर्फ शासक वर्ग की पार्टी रहते, तो नेपाली संविधान, संसद या सरकार से मधेशियों की कोई अपेक्षा ही नहीं रहती मुक्ति या थोडी सी भी राहत के लिए, और मधेशी अपनी आजादी के लिए कूद पडते और कब की आजादी आ गई रहती, कब मधेश आजाद हो गया रहता ! परन्तु मधेश के गद्दार मधेश में आकर जनता को दिग्भ्रमित करते रहे हैं कि उन्हें जिताओ, और वे सांसद मंत्री बन जाएंगे तो सबकुछ ठीक हो जाएगा, मधेशियों को अधिकार मिल जाएगा। मधेशी जनता को कहते हैं तुम बलिदानी दो, मरो, तो संविधान में अधिकार सुनिश्चित हो जाएगा ! पर होता यह है कि उसी लाश को सीढी बनाकर वे काठमांडू तक, संसद और सरकार तक पहुँचते हैं, काठमांडू में जाकर आलीशान महल बनाते हैं, अपनी बीबी, समधी, रिश्तेदारों को सांसद बनाते हैं, और उनके लिए मधेश का मुद्दा जाता है भाँड में ! दशकों से यही चक्र चल रहा है और मधेशी मरते रहे है, गुलामी के चक्कर में पिसते रहे हैं, इन्हीं गद्दारों के फैलाए गए भ्रम के कारण।
अब भी इन गद्दारों को जब इनका नेपाली मालिक इनको चाय-बिस्कुट खाने के लिए बुलाते नहीं, तो ये आजादी, मधेश राष्ट्र, अलग सीमा, अलग भूगोल की धमकी देने लगते हैं, मधेशी जनता को दिग्भ्रमित करने लगते हैं, परन्तु इनके आगे नेपाली शासक दो टुकडा बिस्कुट फेंकते ही फिर भौंकना बंद !
अब की बार इन गद्दारों का मधेश से सफाया होना जरूरी है। मधेशी पहाडी कोई पार्टी को मधेश में यह फिरंगियों का संविधान लादने का हक नहीं, मधेशी पहाडी सभी पार्टी का बहिष्कार होगा, यह निर्वाचन हमें सर्वथा अस्वीकार्य होना चाहिए।
होना चाहिए तो सिर्फ मधेश की आजादी !
आजादी से एक भी इंच कम नहीं, सर कट जाए तो भी गम नहीं
नेपाली उपनिवेश अंत हो, मधेश देश स्वतंत्र हो
मधेश आंदोलन जारी है, मत-बदर की बारी है
चुनाव में हिस्सा, हैं गुलामी का किस्सा
अब की बार, मत-बदर करके आरपार
कोठली के बाहर छाप, गुलामी अंत करो आप